चाणक्य बुद्धि के भगवान सिंह की कूटनीतियों पर

 पिता का नाम अचानक इसलिए इनका नाम पड़ा चाणक्य बुद्धि के भगवान सिंह की कूटनीतियों पर चलकर कहीं साम्राज्य स्थापित हुए आज कहीं बड़ी मिनिस्ट्री हमारे देश में एजुकेशन मिनिस्टर होम मिनिस्टर फाइनेंस मिनिस्टर डिफेंस मिनिस्टर फॉरेन मिनिस्टर यह सारी सबसे इंपॉर्टेंट मिनिस्ट्री है और यह ऐसे व्यक्ति थे जो सारी मिनिस्टरीज अकेले देखने में सबसे ज्यादा सक्षम और ऊपर प्राइम मिनिस्टर के विश्वविद्यालय रों के साथ-साथ इंटरनेशनल डिप्लोमेसी कैसे बिल्ड करनी है बच्चों को कैसे तैयार करना है ऑडिटिंग मेकैनिज्म को कैसे तैयार करना है बुद्धि का विकास चाहिए समुद्र शास्त्र में भी पारंगत थे क्या होता है समुद्र शास्त्र एक इंसान से बात करते वक्त उसके चेहरे प्रोडक्शन देंगे बचपन से शुरुआत करते हैं एक बार चाणक्य बाहर बगीचे में खेल रहे थे पीछे से उनके घर में एक एस्ट्रोलॉजर ज्योतिषी आया जो उनकी मां से जब मिला तो 


उन्होंने चाणक्य की पथरी देखकर बोला कि यह तो आगे चलकर इसके जीवन में राजयोग लिखा है प्रधानमंत्री बन गया तो यह तो मुझको भूल जाएगा तो उन्होंने चाणक्य के दांत को देखना सामने वाले दांत तो उसके नागराज का चिन्ह होगा तुम्हाराचलते प्रधानमंत्री बनेगा मुझको भूल जाएगा इतना सुनते ही चाणक्य ने पत्थर उठाया और अपना दांत तोड़ दिया और क्या बोला मां तेरे प्रेम के चलते मैं ऐसे हजारों राजपथ तुरंत खत्म कर दूंगा इससे पता चलता है चाणक्य को कभी सट्टा का लोग नहीं था आगे चलकर देशभक्त चाणक्य तक्षशिला के प्रधानाचार्य बने प्रधानाध्यापक बने उन्हें दोनों सिकंदर पूरी दुनिया को जीते हुए भारत की तरफ बढ़ रहा था सोने की चिड़िया भारत को लूटने के लिए वह आक्रमण पर आक्रमण कर रहा था पोरस को हरा चुका था और चाणक्य के मन में उन दोनों एक ही सपना था क्यों ना अखंड भारत का निर्माण किया जाए एक शक्तिशाली राजा को खड़ा किया जाए मगध जो सबसे बड़ा साम्राज्य का नंद डायनेस्टी का आज के समय में जो उड़ीसा है बिहार है हिलाया जाता है नंद डायनेस्टी का सबसे बड़ा राजा धनानंद की उसके पास गए और उसको इन्फोटेक करने का प्रयास किया कि क्यों ना सिकंदर के खिलाफ हम तैयारी करें और तभी उन्होंने कहा अच्छा उसे समय लॉटरी में पर स्त्री गमन में अपने भोग विलास के अंदर खर्च कर देता था तुम अपनी पंडिताई करो मुझको राज पटना सिखाओ सिकंदर या तक नहीं उसको गिरा दिया फर्नीचर खुल गई और बोले तेरी संकल्प ले लिया कि


 मैंने सीखा तब तक नहीं मानूंगटिंग एंगर इन रेजोल्यूशनबुखार के एक अखंड भारत का राजा खड़ा कर दो मुझे किसी को कल्टीवेट करना पड़ेगा चाणक्य की डिटरमिनेशन आपको इस बात से समझ में आएगी कि उन्होंने यंग लड़के के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दिया जिसका नाम था चंदू चंद्रगुप्त इसको उन्होंने ट्रेनिंग थी उन्होंने सोचा कि मैं सिकंदर के साम्राज्य को उखाड़ दूंगा चंद्रगुप्त को भी विश्वास नहीं था लेकिन उनको निष्ठा थी उनकी शरणागति थी चाणक्य पंडित के प्रति चाणक्य उनको एडवाइस करते चले गए चंद्रगुप्त उनकी सारी बातें समझ दी गई थी। जन तक उसे अपना मित्र बनाए रखो चंद्रगुप्त हैरान पुलिस सिकंदर को मित्र कैसे बनाएंगे चाणक्य ने तभी चंद्रगुप्त को समझाया कि तुम उनकी सेवा में शामिल हो जाओ अंदर की जिससे अंदर की सारी जानकारियां आप चाणक्य के पास आने लगी चाणक्य को इतना समझ में आ चुका था कि बहुत दूर से ट्रैवल करती हुई लाखों की सेवा सिकंदर की शरीर से थक चुकी है बोला आप इनको मन से था का अंदर की सेवा के बीच में देखिए सिंधु नदी अभी तक भारत में भारत के देवी देवता है वह तुमसे नाराज हो चुके हैं छोटे-छोटे अटैक कर देते थे उनके देश के झंडे को जो पहाड़ों की विषम्मक क्रांतियां फैला देते थे लोगों के अंदर कन्फ्यूजन आपस में उनका लाडवा देते थे 15 16 इन्होंने उसे सी को खोखला बनाना शुरू किया उनका मनोबल तोड़ना शुरू किया सिकंदर ज्यादा लंबे समय तक रुक नहीं पाया क्या कहते हैं जो जीता वही सिकंदर है

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