दुनिया का सबसे महान राजा सम्राट विक्रमादित्य
ईशा के जन्म के 300 साल पहले पूर्ण कबीले के लोगों ने चीन में कोहरा मचा रखा था ध्यान रहे जंगलों में रहने वाले फूलों के कबीलों ने चीन के राज्यों पर ताबड़तोड़ हमले करके अपने कब्जे में ले ली दोनों से परेशान होकर चीन के सम्राट सिवान सी ने ईशा के जन्म के 245 साल पहले चीन की दीवार बना दी जो आज भी विद्यमान है इस दीवार के बन जाने के बाद फूलों का चीन में घुसना दुबर हो गया
इससे परेशान होकर उन्होंने पश्चिम की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया उन लोग अत्यंत की कट्टर कड़क असभ्य और बराबर थे लूटमार के द्वारा ही भी अपना जीवन निर्वाह करते थे प्रचंड आंधी पश्चिम की ओर बढ़ना शुरू किया और पश्चिम की उस जाति के लोगों पर अपनी जीत के झंडा गाड़ी के लोग घोड़े से डर कर सर नदी के मैदाने की तरफ भागे सर नदी के इस इलाके में शकों का शासन था यूडीसी जाति के लोगों ने इस शकों पर ताबड़तोड़ दवा बोला और शकों के राज्य को अपने कब्जे में ले लिया ध्यान रहे पहले उन्होंने उस जाति के लोगों के राज्यों को जीता फिर इन उस जाति के लोगों ने शकों के राज्यों को जीत यही समय था जब सकोगी एक शाखा ने बैक्टीरिया प्रदेश पर आक्रमण कर दिया प्लीज को टुकड़ों टुकड़ों में काट दिया सब लोगों की जिस शाखा ने बैक्टीरिया प्रदेश पर अपनी जीत के झंडे गाड़े थे वही शाखा हिंदू कुश पार करते हुए भारत की तरफ बढ़ने लगीअपने घुसकर शकों ने पुष्प कलावती और तक्षशिला प्रदेशों पर अत्यंत ही करोड़ तरीके से आक्रमण करते हुए इन पर अपना अधिकार स्थापित कर दिया
ईशा के जन्म के 72 साल पहले शकों के कट्टर राजा मौत का जन्म हुआ यही सकराज बस था जो कुर्ता का दूसरा नाम था अपने अत्यंत विनाशक सेवा के साथ मौत ने मथुरा महाराष्ट्र उज्जैन पर भयभीत करने वाला हमला किया बादशाह को ने शक संबंधी की शुरुआत की तीनों लोकों के अधिपति महादेव शिव को मानने वाली यह शक संपूर्ण भारत पर अपनी विजय पताका फहराना चाहते थे पर शक अनजान थे उसे वीर से जो मानव देश में बैठा सब जो स्वयं वीर विद्वान कट्टर बाहुबली के साथ अपनी सेवा का निर्माण कर रहा था शकों की जड़े हिला देने की कबवत रखने वाले उसे देवटूल या महावीर विराट सम्राट विक्रमादित्य उर्फ महाराज विक्रम सेन महावीर जी से दुनिया ने विक्रमादित्य के पहले राज राजा सम्राट महिंद्रा आदित्य के गर्जन सम्राट ने 100 वर्षों तक लगातार शासन किया उन्होंने पूरी दुनिया पर अपनी जीत किसी दुनिया भर के लोग परिचित थे मैं के महान वीर योद्धा विक्रम सेन के सामने खड़े होने की ताकत दुनिया के किसी भी योद्धा के पासमें विक्रमादित्य भारत की प्राचीन नगरी उज्जैन के राज सिंहासन पर बैठते थे उन्होंने भारत भूमि से शकों का समूह लाश कर दिया था अयोध्या के राजा पर दूसरी राम के पद चोन पर चलते हुए विक्रम सेन ने अपने राज्य में रामराज्य की स्थापना की जब सकराज बॉस ने अपनी क्रूर सेवा के साथ उज्जैन पर हमला किया तो उसे समय उज्जैन के राज सिंहासन पर सम्राट विक्रमादित्य के पिता महिंद्रा आदित्य का शासन था शकों ने उज्जैन को जीतकर उज्जैन के राजा महिंद्रा आदित्य को बहुत अपमानित किया इस समय सम्राट विक्रमादित्य छोटे थे अपने पिता के अपमान का बदला लेने की आज उसे नन्हे बालक के मन में बाव रही थी विक्रमादित्य के बड़े भाई पर तू हरि मालवा देश के राजा थे पर तू हरि ने 40 ईसा पूर्व अपना राज्य त्याग कर वैराग्य धारण करके हरिद्वार की तरफ निकल गए अब सम्राट विक्रमादित्य भी बड़े हो चुके थे 100 घटित शरीर का स्वामी विक्रम एक महान योद्धा धनुष खड़क असी त्रिशूल दिया में उनका कोई सानी नहीं थाआज अब सम्राट विक्रमादित्य मालवा देश के राजा बने राजा बनते ही सम्राट ने अपने राज्य के शकों की बस्तियों पर दम दम दावे बोले उन्होंने मालवा प्रदेश से शकों का समूह नाश कर दिया इसी समय सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संबंध की शुरुआत करते हुए संपूर्ण भारत से शकों के समूह लाश की प्रतिज्ञा की अब सम्राट विक्रमादित्य जंगलों की तरफ निकल पड़े यहीं पर सम्राट ने जंगलों में रहने वाली जातियों को एकत्रित करके भैरव सेवा का निर्माण किया देश के कोने-कोस बसे ने में बने शिव मंदिरों में भैरव के लिए मौत के समान थी इस समय सम्राट विक्रमादित्य के पास विश्व स बसेकीशक्तिशाली सी थी जो अपने अंतिम परिणाम में मात्र जीत ही जाती थी