भारतवर्ष के प्राचीन काल की ऐतिहासिक कथा

 भारतवर्ष के प्राचीन काल की ऐतिहासिक कथा महाभारत के एक महत्त्वपूर्ण पात्र अभिमन्यु पूरु कुल के राजा व पांडवों में से अर्जुन के औरस पुत्र थे। कथा में उनका उल द्वारा कारुणिक अंत बताया गया है। अभिमन्यु अर्जुन का पुत्र थे। 15 वर्ष की आयु में फाल्गुन मास में उनका विवाह उत्तरा और उत्तरा से पहले उनका विवाह बतराम की पुत्री वत्सता से हुआ था। 16 वर्ष की आयु में आषाढ़ मात में जिस दिन में महाभारत के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे उससे एक दिन पूर्व हीं अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा ने गर्भधारण किया था।




 द्वापर युग में सबसे कम उम्र में स्ती के शारीरिक सुख और संतान जन्म की प्राप्ति करने वाले वे इकलौते थे। अभिमन्यु एक असाधारण पोद्धा थे। उन्होंने कौरव पक्ष की व्यूह रचना, जिसे चक्रव्यूह कहा जाता था के सात में से छह द्वार भेद दिए थे। कथानुसार अभिमन्यु ने अपनी माता की कोख में रहते ही अर्जुन के मुख से चक्रव्यूह भेदन का रहस्य जान लिया था। पर सुभद्रा के बीच में ही निद्रामग्न होने से वे व्यूह से बाहर आने की विधि नहीं सुन पाये थे।


 अभिमन्यु की मृत्यु का कारण जयद्रथ था जिसने अन् पाठनों को व्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया था। संभवतः इसी का लाभ उठा कर व्यूह के अंतिम चरण में कौरव पक्ष के सभी महारची युद्ध के मानदंडों को भुलाकर उस बालक पर टूट पड़े, जिस कारण जसने वीरगति प्राप्त की। अभिमन्यु की मृत्यु का प्रमीयतेने के लिये केकी शपथ ती थी।

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