गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी का नाम सुना होगा यह कौन थे गुरु जंभेश्वर

 उनकी पूरी कम्युनिटी वातावरण एनवायरमेंट को प्रोटेक्शन के लिए जानी जाती है पहचानी जाती है वर्ल्ड फर्स्ट एनवायरनमेंट लिस्ट कम्युनिटी के बारे में किसी को पता नहीं मेरे दिमाग को बिश्नोई कौन है गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी का नाम सुना होगा यह कौन थे गुरु जंभेश्वर के नाम पर जिनको जम्मू की बोला करते थे धरती के पहले पर्यावरण के वैज्ञानिक बाद में पता लगता है 28 अगस्त 1451 में जन्म लिया राजस्थान में नागौर जिले में आध्यात्मिक बहुत थे और किसी भी जीव हत्या के प्रति बहुत-बहुत जागरूक करने में लोगों को लेयर है और पॉल्यूशन लेयर खत्म होती है क्या आप जानते हैं 1913 के अंदर लेकिन आपको बता दूं ईश्वर ने बता दिया था                                      


मोर धरती ध्यान वनस्पतिवार ध्यान रूप में धरती पर बसने वाले पेड़ पेड़ को बोलते थे कि पेड़ ध्यान दो में बनता है पेट शांत रहता है भगवान का ध्यान कर रहा है तो ध्यान रूप में बसने वाले जो पेड़ उनके खतरे के लिए छाया हुआ है इसलिए धरती का पहला पर्यावरण वैज्ञानिक अपने पेट दर्द से अलग कर दिया अपने शरीर को हाथ कटवा दिए करने को तैयार हो जाते हैं बिश्नोईयों के बारे में दया भावना रखने का मतलब क्या हुआ पुरानी का मतलब क्या इंसान नहीं जानवर भी अगर किसी जानवर की मां मर जाती है 


ना किसी हिरण की मां मर जाती है तो जब बिश्नोई समाज की मां अगर उसे तन-पैन कर रही है बच्चे को तो अपने स्तन से उसे जानवर को भी दूध पिलाती है अपने स्तन से गांव के गांव के गांव में चलते चला जा रहा है बिश्नोई के सारे गांव में जानवरों को भी अपने स्तन का पान करती है अपना दुकान करती है जानवरों का मांस नहीं खाना है नेचुरल डेथ होनी चाहिए संस्कार जैसे इंसान का होता है और जितना ज्यादा पानी लगेगा और पानी हो जाएगा खिचड़ी को तुलसी के बराबर या पीपल के बराबर माना जाता है खिचड़ी की पट्टी लूंगा जो बकरी और उनका खाना बन जाता है उनके जो फूल से टंगरियों की सब्जी और अचार बन जाता है सूखने पर मेडिसिन के लिए आ जाता है इतनी जबर्दस्त होती है कि उसे हल भी बन जाता है राजस्थान में एक लोटा पेड़ में जून में हरा भरा रहता है उसकी रेट के अंदर रेगिस्तान में पानी की जरूरत नहीं तब भी हर रहेगा एक ही पेड़ दुनिया में रहता है बिश्नोई समाज की अमृता देवी अमृता देवी को

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