कुछ इस प्रकार की कहानी जिसमें सीखने की चाह
कुछ इस प्रकार की कहानी जिसमें सीखने की चाह तो बहुत थी पर सीखने वाला कोई नहीं था वही कारण जिसका जन्म राज करने में तो हुआ पर लोगों की नजरों में वह सूत पुत्र कहलाए उनके विवाह से पहले अपने महल में थी और इस समय उसके महल में जिसकी सेवा कुंती ने बहुत की और प्राप्त होने का वरदान दिया ठीक है मन में दिए गए वरदान का उपयोग करने की इच्छा होगी तो उसने सूर्य देव की उपासना की जिसका उन्हें कारण की प्राप्ति हुई जब उन्हें महाबली संतान कारण की प्राप्ति हुई तब उनका विवाह नहीं हुआ था
और समाज में अपमान के डर के कारण उन्होंने आने का फैसला किया और वह टोकरी एक सूट परिवार को मिले जिस कारण कारण के द्वारा हुआ करण के पास बचपन से ही एक सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र और बीमारियों से बचता था पुत्र होने के कारण उन्हें युद्ध कला सीखने से इनकार कर दिया अब कारण को अकेले ही युद्ध परशुराम जी ने उन्हें परशुराम जी को उनके सूट पुत्र होने का पता चल गया कारण कसर सामने आ गया थी जिसके कारण उन्होंने करण को श्राप दिया कि जब भी तुम्हें मेरी दी गई शिक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत होगी तुम इसे भूल जाओगे तब उनके बीच उनके काबिलियत को दिखाने के लिए एक युद्ध रखा गया इसमें बड़ा धनुर्धर कोई नहीं है रखा गया इसमें गदाधारियों से लड़े तलवार भाई तलवार बाजू से लड़े और धनु से लड़े धनुर्धर नहीं था जिस कारण कर दिया इस रिश्ते में अर्जुन से बड़ा धनुर्धर कोई नहीं है
भाई अर्जुन के विरुद्ध होंगे पर अर्जुन यह बात नहीं जानते थे कि कारण उनकी माता कुंडली संतान है जब महाभारत का युद्ध और करण का टकराव होगा जिसमें कारण के कवच और कुंडल के कारण अर्जुन से कभी नहीं हर पाएंगे अर्जुन के पिता थे उन्होंने अपनी चाल चली वह ब्राह्मण का विश करके कारण के पास गए और दान में कारण के कवच और कुंडल मांग लिए बहुत बड़े दानवीर थे उनसे कोई नहीं था सभी को अपने कवच कुंडल में दे दिए महाभारत का युद्ध शुरू हुआ दुर्योधन और अर्जुन के बीच के टकराव को जानते थे रहना पड़ा अंदर आए तब उन्हें गुस्से की आज बहुत ही ज्यादा थी वह अर्जुन से बदला लेना चाहते थे अर्जुन और कर्ण के बीच का टकराव शुरू हुआ जब अर्जुन के शस्त्र कारण के शस्त्र अर्जुन की प्रशंसा क्यों कर रहे हैं
उनके अभ्यास होता है कारण और अर्जुन देने लगता है बाहर निकल आते हैं पर खाने के लिए बार-बार रैक टी से निकालना पड़ता है उनके लिए कहा और अर्जुन ने अपना धनुष उठा लिया और तभी करने कहा कि अर्जुन अगर तुम मुझ पर बात करोगे तो मैं इसी पर ब्रह्मास्त्र को आगमन दूंगा जिसकी योद्धा मर जाएंगे इस दिन को नहीं देखना पड़ता कृष्ण के सामने अपनी गलती कबूली और अर्जुन के सामने वैसे ही खड़े हो गए समय फिर से चल पड़ा कारण ने कहा अर्जुन मुझे मुक्त हो गया तो दोस्तों यह